संदेश

2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विश्वास या मूर्खता

 ऐसी घटना जिसने डॉक्टर दर्शन को अपनी मूर्खता पर गर्व करा दिया.. इस घटना को मूर्खता कहना तो गलत होगा लेकिन वास्तव में  ये एक ऐसे विश्वास की कहानी है जिस पर विश्वास करना कितना सही और इसे मूर्खता कहना कितना गलत था ये घटना डॉक्टर दर्शन जी ने खुद साझा की थी जिसे मै उन्ही के शब्दों  मे आपसे भी साझा करना  चाहूँगा…. मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा था. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई. ‘अमर विश्वास’ एक ऐसा नाम जिसे मिले मुझे वर्षों बीत गए थे. मैं ने लिफाफा खोला तो उस में 1 लाख डालर का चेक और एक चिट्ठी थी. इतनी बड़ी राशि वह भी मेरे नाम पर. मैं ने जल्दी से चिट्ठी खोली और एक सांस में ही सारा पत्र पढ़ डाला. पत्र किसी परी कथा की तरह मुझे अचंभित कर गया. लिखा था : आदरणीय सर, मैं एक छोटी सी भेंट आप को दे रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि आप के एहसानों का कर्ज मैं कभी उतार पाऊंगा. ये उपहार मेरी अनदेखी बहन के लिए है. घर...

✨ "उस रौशनी के पार"

📌 Disclaimer (स्पष्टिकरण) यह पूरी कहानी मेरी व्यक्तिगत सोच और अनुभवों पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी धर्म, आस्था या परंपरा को ठेस पहुँचाना नहीं है। मैं किसी को गलत या सही साबित नहीं कर रहा — बस अपनी उस inner journey को शब्द दे रहा हूँ, जिसमें मैंने भगवान को, खुद को और इस ब्रह्मांड को थोड़ा-थोड़ा समझने की कोशिश की है। अगर कुछ बातें आपसे न मिलें, तो उसे एक इंसान की तलाश समझिए — ना कि विरोध। 🕯️ भाग 1 – "मैं ढूंढ नहीं रहा था, मैं सिर्फ समझना चाहता था" "भगवान को मानते हो?" जब ये सवाल बाहर से आता है, तो जवाब आसान होता है। "हाँ" या "ना" में निपट जाता है। पर जब ये सवाल भीतर से उठता है — तो जवाब देना नहीं, ज़िंदा रहना भारी लगने लगता है। --- 🙏🏼 मैं भी पहले सबकी तरह था… पर अब सिर्फ महसूस करना चाहता हूँ मुझे नहीं पता मैं कब बदल गया। पर एक समय था जब मैं भी मंदिर जाता था, मन्नतें मांगता था, हर मुश्किल में हाथ जोड़ लेता था। आज भी जाता हूँ, हाथ भी जोड़ता हूँ — पर अब मैं कुछ मांगता नहीं। अब मैं सिर्फ महसूस करना चाहता हूँ — उस energy को… उस vibration को… जो ...