विश्वास या मूर्खता
ऐसी घटना जिसने डॉक्टर दर्शन को अपनी मूर्खता पर गर्व करा दिया.. इस घटना को मूर्खता कहना तो गलत होगा लेकिन वास्तव में ये एक ऐसे विश्वास की कहानी है जिस पर विश्वास करना कितना सही और इसे मूर्खता कहना कितना गलत था ये घटना डॉक्टर दर्शन जी ने खुद साझा की थी जिसे मै उन्ही के शब्दों मे आपसे भी साझा करना चाहूँगा…. मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा था. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई. ‘अमर विश्वास’ एक ऐसा नाम जिसे मिले मुझे वर्षों बीत गए थे. मैं ने लिफाफा खोला तो उस में 1 लाख डालर का चेक और एक चिट्ठी थी. इतनी बड़ी राशि वह भी मेरे नाम पर. मैं ने जल्दी से चिट्ठी खोली और एक सांस में ही सारा पत्र पढ़ डाला. पत्र किसी परी कथा की तरह मुझे अचंभित कर गया. लिखा था : आदरणीय सर, मैं एक छोटी सी भेंट आप को दे रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि आप के एहसानों का कर्ज मैं कभी उतार पाऊंगा. ये उपहार मेरी अनदेखी बहन के लिए है. घर...